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BNMU स्वास्थ्य दूत बनें युवा : आलोक कुमार सिंह

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*स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम संपन्न*
युवा ही हैं देश के भविष्य : आलोक कुमार सिंह
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बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति एवं बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति युवाओं के बीच एड्स एवं विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर लगातार जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करती रही हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं और पूरे समाज में एड्स एवं स्वास्थ्य संबंधी अन्य मामलों को लेकर जागरुकता बढ़ाना है।

यह बात बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना के सहायक निदेशक (युवा) आलोक कुमार सिंह ने कही।

वे ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित स्वास्थ्य संवाद में कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता के रूप में बोल रहे थे। संवाद का विषय एड्स और युवाओं की अन्य बुनियादी स्वास्थ्य समस्याएँ : कारण एवं निवारण था।

उन्होंने कहा कि युवा ही देश के भविष्य हैं और उन्हीं के ऊपर देश के नवनिर्माण की जिम्मेदारी है। युवा जागरूक होंगे, तो उनके माध्यम से परिवार, समाज एवं राष्ट्र जागरूक होगा।

उन्होंने कहा कि ऊपर ही हमारे देश का भविष्य निर्भर है। देश का नवनिर्माण युवाओं की भागीदारी से ही संभव है। युवाओं से अपेक्षा है कि वे स्वास्थ्य दूत के रूप में कार्य करें।

उन्होंने कहा कि हमें युवाओं को एड्स एवं अन्य बीमारियों से बचाना है और उनके माध्यम से समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लानी है। युवाओं की उर्जा को सकारात्मक दिशा देकर एक स्वस्थ, सबल एवं समृद्ध भारत का निर्माण करना है।

उन्होंने स्वास्थ्य को लेकर चलाए जा रहे बिहार सरकार के विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय और विशेरूप से ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय का प्रदर्शन की काफी सराहना की।

संवाद के मुख्य वक्ता विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली में प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डाॅ. विनीत भार्गव ने बताया कि युवावस्था में हम अपने भविष्य-निर्माण की चिंता में खो जाते हैं। भविष्य की चिंता में हमारा वर्तमान ही खतरे में पड़ जाता है। सबसे पहली चीज़ जो इस आपा-धापी में खोता है, वह है आपका स्वास्थ्य। शरीर ही वह माध्यम है जिसके जरिए आप धरती पर उपलब्ध संसाधनों का उपभोग करते हैं। यदि आपका स्वास्थ्य ही ठीक नहीं होगा तो आप सारी दुनिया की संपत्ति ही क्यों न अर्जित कर लें।

उन्होंने कहा कि युवावस्था में भरपूर जोश होता है और होश की कमी होती है। यहीं आपसे चूक हो जाती है। आप या तो किसी प्रकार के नशे में या गलत संगति में या उत्सुकतावश यौनाचार में प्रवेश कर जाते हैं। इससे युवाओं में एचआईवी जैसी संक्रामक बीमारी होने का खतरा बढ़ता है। गलत जीवनशैली व उससे पैदा होने वाली निराशा से युवा और भी कई मानसिक एवं शारीरिक बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आजकल युवाओं में तनाव एवं अवसाद बढ़ रहे हैं। उनमें बीपी, सूगर एवं थायरॉइड का खतरा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है।

उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि कोरोना में युवाओं एवं बच्चों में मोबाइल के प्रति अतिरिक्त आकर्षण बढ़ा। उनका यह तकनीकी प्रेम पैथोलॉजिकल लेवल तक पहुंच गया है। आप हम बहुत अधिक सूचनाग्राही हो गए हैं। इतना अधिक कि वह अब अपच के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। आपके पास सूचना तो बहुत है, लेकिन आप जानते बहुत कम हैं।

उन्होंने कहा कि हमें अपने परिवार के सदस्यों के साथ अधिक से अधिक समय बिताना चाहिए। घर के छोटे-छोटे कामों में खुद को इन्वॉल्व करना मोबाइल पर समय बिताने से कहीं अच्छा है।

उन्होंने कहा कि युवाओं को अपने स्लीपिंग और फ़ूड पैटर्न के बारे में भी अधिक सजग रहने की जरूरत है। देर रात तक जगना, जरूरत से ज्यादा भोजन करना व स्वच्छता की अनदेखी ये कुछ ऐसी भूलें जो युवा अक्सर करते हैं। परिणामस्वरूप आपके शरीर का केमिकल कोआर्डिनेशन बिगड़ता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरों की संभावना बढ़ जाती है।

उन्होंने कहा कि स्कूलों एवं कॉलेजों में साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड सर्विसेज़ की शुरुआत होनी चाहिए, इस पर भी जोर दिया। जहाँ बच्चे खुलकर अपनी बातों को साझा कर सकें और उनका समय रहते उचित मार्गदर्शन हो सके।

उन्होंने कहा कि आपका स्वास्थ्य आपके अपने हाथों में है। कोई आपको स्वस्थ नहीं रख सकता। वह आप ही हैं जो खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। डाक्टर भी आपसे पूछकर ही आपका निदान एवं उपचार करता हैं। यदि हम स्वयं अपने शरीर के संकेतों को समझ लें और तदनुसार परहेज़ करें तो कम से कम बीमार होंगे।

उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ लंबा नहीं होना चाहिए, बल्कि लम्बे के साथ-साथ स्वस्थतापूर्ण एवं गुणवत्तापूर्ण जीवन जीना भी होना चाहिए। हमें अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी पहले खुद समझना चाहिए।

मुख्य अतिथि अध्यक्ष, हिंदी विभागाध्यक्ष डाॅ. वीणा कुमारी ने कहा कि एड्स के कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में ह्रास होने लगता है। अबतक एड्स का कोई ठोस इलाज नहीं खोजा जा सका है। इससे बचाव ही इलाज है। हम रोगी के साथ सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करें।

उन्होंने बताया कि भूमंडलीय स्तर पर दो करोड की मृत्यु हो चुकी है। भारत में प्रत्येक वर्ष दस लाख से अधिक लोग एड्स से संक्रमित होते हैं। बड़ी संख्या में युवा भी एड्स की चपेट में आ रहे हैं। अभी भी देश में 15-49 वर्ष के लगभग 25 लाख लोग एड्स से प्रभावित हैं।

विशिष्ट अतिथि एनएसएस समन्वयक डाॅ. अभय कुमार ने कहा कि युवाओं को स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर जागरूक करने की जरूरत है।

सम्मानित अतिथि सिंडिकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा कि युवाओं से शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के सवालों पर निरंतर संवाद करने की जरूरत है।

विशिष्ट वक्ता खेल एवं संस्कृति विभाग के उप सचिव डाॅ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि हमारे समाज में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता का काफी अभाव है। अतः एड्स एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाना आवश्यक है।

सम्मानित वक्ता राजनीति विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. रोहिणी, एनसीसी ऑफिसर लेफ्टिनेंट गुड्डु कुमार, संस्कृत विभाग की अध्यक्ष डाॅ. खुशबू शुक्ला, सीनेटर रंजन यादव, शोधार्थी द्वय सारंग तनय एवं माधव कुमार, छात्रनेता आनंद कुमार भूषण आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रोफेसर डाॅ. के. पी. ने कहा कि ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय न केवल भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, वरन् पूरे राज्य स्तर पर अपनी सक्रियता के लिए जाना जा रहा है। विगत कुछ वर्षों में हमने कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया है।

अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. स्वर्णमणि ने किया। संचालन पीआरओ डाॅ. सुधांशु शेखर ने किया।धन्यवाद ज्ञापन शिक्षाशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डाॅ. जावेद अहमद ने किया।

इस अवसर पर शिक्षाशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कुंदन कुमार सिंह, डॉ. आशुतोष झा, डाॅ. अमित कुमार आनंद, डाॅ. अशोक कुमार अकेला, विवेकानंद, सौरभ कुमार चौहान, डेविड यादव, पीयर एडूकेटर द्वय नीशु कुमारी एवं सुरज प्रताप, मणीष कुमार, सुनील कुमार, पुनीता कुमारी, प्रिंस कुमार, हिमांशु कुमार, नीतीश कुमार, सुधांशु रंजन, रितिक कुमार आदि उपस्थित थे।

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