*राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे दिन सहभागी हुए प्रशिक्षित।
*स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में शोधार्थी ऑनलाइन एवम् ऑफलाइन ले रहे हैं भाग।
प्रो डॉ एम आई रहमान ने कार्यशाला में शोधार्थियों को एस पी एस एस सॉफ्टवेयर की दी जानकारी और दिया प्रशिक्षण।
*साहित्यिक चोरी से बचना हम सभी की जिम्मेवारी* *डा मीनाक्षी*
राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे दिन स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में शोधार्थियों को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया जारी रही। पहले सत्र में स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो डॉ एम आई रहमान ने संखिकिय विश्लेषण में उपयोग में लाए जाने वाले आई बी एम द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एसपीएसएस सांख्यिकी आईबीएम द्वारा डेटा प्रबंधन , उन्नत विश्लेषण, बहुभिन्नरूपी विश्लेषण , व्यापार खुफिया और आपराधिक जांच के लिए विकसित एक सांख्यिकीय सॉफ्टवेयर सूट है । लंबे समय तक एसपीएसएस इंक द्वारा निर्मित , इसे 2009 में आईबीएम द्वारा अधिग्रहित किया गया था । 2015 से जारी सॉफ्टवेयर के संस्करणों का ब्रांड नाम आईबीएम एसपीएसएस सांख्यिकी है ।सॉफ्टवेयर का नाम मूल रूप से सामाजिक विज्ञान के लिए सांख्यिकीय पैकेज ( एसपीएसएस ) के लिए था, जो मूल बाजार को दर्शाता है, बाद में इसे सांख्यिकीय उत्पाद और सेवा समाधान में बदल दिया गया । उन्होंने सॉफ्टवेयर द्वारा डाटा विश्लेषण करने के तरीकों को बताते हुए इसकी उपयोगिता पर विस्तारपूर्वक चहरचा की। सत्र के दूसरी पाली में मगध विश्वविद्यालय की डा मीनाक्षी ने साहित्यिक चोरी अर्थात प्लेजियारिज्म के संबंध में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि जब कोई व्यक्ति किसी अन्य लेखक या कलाकार की कृति का उपयोग स्रोत का उचित उल्लेख किए बिना या श्रेय दिए बिना करता है, तो वह साहित्यिक चोरी है।
इसलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि साहित्यिक चोरी क्या है और अपने काम की जांच और सुरक्षा के लिए साहित्यिक चोरी जांच उपकरण का उपयोग करें। साहित्यिक चोरी की जाँच करना बहुत आसान है। बहुत सारे भुगतान और मुफ्त ऑनलाइन साहित्यिक चोरी उपकरण हैं जो यह जांचने में आपकी सहायता कर सकते हैं कि आपके काम में साहित्यिक चोरी का उदाहरण है या नहीं।
लेकिन, कॉपीलीक्स इस काम को बेहतरीन तरीके से करता है। बस अपने काम को साहित्यिक चोरी डिटेक्टर पर अपलोड करें। टूल साहित्यिक चोरी के प्रतिशत का पता लगाएगा, और यह आपके लिए किसी भी साहित्यिक चोरी की सामग्री की पहचान भी करेगा। उन्होंने बताया कि इसकी परिष्कृत एआई तकनीक के साथ, आप वास्तविक समय में और अविश्वसनीय रूप से तेज गति से साहित्यिक चोरी का पता लगा सकते हैं। भारत एवम् बिहार के विश्वविद्यालयों में यू जी सी द्वारा मान्यता प्राप्त सॉफ्टवेयर ड्रिलबिट है और शोधार्थियों को चाहिए कि वह उसका पूरा लाभ उठाएं। उन्होंने सॉफ्टवेयर द्वारा एक पी एच डी थीसिस की जांच कर दिखाया। कार्यशाला में सहभागी ऑनलाइन और ऑफलाइन जुड़े हुए थे। बताते चहलें कि भारत के विभिन्न राज्यों से शोधार्थी इस कार्यशाला से जुड़े हुए है और प्रशिक्षण ले रहे हैं।
कल केन्द्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार गया के प्रोफेसर धर्मेन्द्र कुमार सिंह एवम् पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दिनेश कुमार सहभागियों को प्रशिक्षित करेंगे।