*मानवता के उद्धारक थे बुद्ध*
सिद्धार्थ का जन्म लुंबिनी (नेपाल) में 563 ईसा पूर्व हुआ था। उन्होंने ज्ञान प्राप्ति के लिए अपना पूरा राज-पाट एवं घर-परिवार को छोड़ दिया और कठोर साधना करने लगे। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोधगया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।
यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कही। वे गुरुवार को बुद्ध पूर्णिमा (गौतम बुद्ध के जन्मोत्सव) पर आयोजित समारोह का उद्घाटन कर रहे थे।
प्रधानाचार्य ने कहा कि गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक माने जाते हैं। बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है और आज यह पूरी दुनिया में फैल चुका है। बौद्ध धर्म संसार के चार बड़े धर्मों में से एक है।
*संपूर्ण जीवन मानवता के कल्याण के लिए कर दिया समर्पित*
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि बुद्ध पौराणिक अवतार नहीं, बल्कि ऐतिहासिक पुरुष थे। उनका धर्म ईश्वरीय उपदेश नहीं, बल्कि मनुष्यों के हित एवं सुख के लिए मनुष्य द्वारा निर्मित नीति है। वे मुक्तिदाता नहीं, बल्कि मार्गदाता थे। उन्होंने संसार को दुःखों से मुक्ति दिलाने के लिए अष्टांग मार्ग का उपदेश दिया है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानवता के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। उनके दर्शन को अपनाकर ही दुनिया में शांति एवं सौहार्द कायम हो सकता है और सर्वांगीण विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति भी हो सकती है।
मुख्य अतिथि मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि गौतम बुद्ध दुनिया के सबसे पहले मनोवैज्ञानिक थे। उन्होंने मनोविश्लेषण के जरिए संसार को दुःखों से मुक्ति का मार्ग दिखलाया।
इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, मनीषा कुमारी, खुशी कुमारी, विक्की विजेता, प्रिया कुमारी, आंचल कुमारी गुप्ता, बबलू, मीठी कुमारी, आयुष कुमार, अभिनव कुमार, आशीष कुमार झा, विकास कुमार, रणविजय कुमार, विभा कुमारी, अंशु कुमारी, बंदना कुमारी, मनीषा कुमारी, गीतांजलि कुमारी, नेहा कुमारी, गुड़िया कुमारी, आफरीन बेगम, प्रतिभा कुमारी, जुली कुमारी, सोनी कुमारी, पल्लवी कुमारी, सोनाली कुमारी, नूतन कुमारी, नैना कुमारी, रूपम कुमारी आदि उपस्थित थे।