*छात्र-शिक्षक संवाद का आयोजन*
भारत अपने ज्ञान-विज्ञान एवं दर्शन के कारण दुनिया में विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित रहा है। हमारे विक्रमशिला एवं नालंदा आदि विश्वविद्यालय दुनिया में प्रतिष्ठित रहे हैं। लेकिन दुख की बात है कि आप हमारे विश्वविद्यालय विश्व रैंकिंग में काफी पीछे हैं।
यह बात गुरुवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के सभा भवन में आयोजित छात्र-शिक्षक संवाद कार्यक्रम में उभर कर सामने आई। यह संवाद विशेष रूप से विद्यार्थियों को वर्ग की ओर लाने के लिए आयोजित किया गया था।
संवाद कार्यक्रम में शैक्षणिक माहौल बनाने व छात्रों को वर्ग से जोड़ने के सम्बन्ध में शिक्षक, छात्र नेता एवं छात्र -छात्राओं ने अपने सुझाव दिए। सबों ने एकमत से स्वीकार किया कि शैक्षणिक माहौल में बड़े स्तर पर गिरावट आई है। इसपर जब भी चर्चा होती है तो हर वर्ग एक दूसरे पर आरोप लगा खुद को बेकसूर साबित करने में लगा रहता है। लेकिन यह अकाट्य हकीकत है कि इसके जिम्मेदार सभी हैं।
वरिष्ठ शिक्षक डाॅ. एम. एस. पाठक ने कहा कि पहले छात्र शिक्षक को तलाश करते थे, लेकिन अब शिक्षक छात्र को तलाशते हैं। फिर भी छात्र वर्ग को नहीं मिलते हैं। पहले छात्रों का रुझान वर्ग की ओर बहुत था। लेकिन अब यह रुझान वर्ग कि जगह कोचिंग की ओर हो गया है।
डाॅ. सुमन कुमार ने कहा कि छात्र वर्ग के आभूषण हैं, वर्ग जाए बिना गुणवतापूर्ण शिक्षा सम्भव नहीं है। परीक्षा नियंत्रक डाॅ. मिथिलेश कुमार ने कहा कि छात्रों को डिग्री की जगह ज्ञान के महत्व को समझने की जरूरी है, तभी उनको वर्ग का महत्व समझ आएगा। जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने कहा कि विद्यार्थियों के कक्षा में आने पर ही शिक्षकों का भी शैक्षणिक उन्नयन होगा। शिक्षक भी विद्यार्थी से सीखते हैं।
डाॅ. वीणा कुमारी एवं डाॅ. स्वर्णमणि ने कहा कि परीक्षा के प्रारूप को सुधार कर भी वर्ग की ओर छात्रों को मोड़ा जा सकता है।
डाॅ. गुड्डू कुमार एवं डाॅ. अमिताभ ने कहा कि छात्रों के वर्ग से जुड़ने से सर्वाधिक फायदा शिक्षकों को होता है। क्योंकि इससे उनकी धार बनी रहती है।
सीनेट सदस्य रंजन कुमार ने कहा कि इस संकल्प को ईमानदारी से साकार रूप देने की जरूरत है। इसके लिए सब मिलकर संयुक्त पहल करें।
राजद के माधव कुमार, सोनू कुमार, नीतीश यदुवंशी, ने कहा कि महाविद्यालय की यह पहल सराहनीय है।
एसएफआई के सारंग तनय एवं छात्र जदयू के आनंद कुमार भूषण ने कहा कि छात्रों को वर्ग से जोड़ने की मुहिम एक सराहनीय कदम है।
एआईएसएफ नेता हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा वर्ग के प्रति छात्रों को उत्सुक करने के लिए कॉलेज को विभिन्न प्रतियोगिताओं व कार्यक्रमों को पूर्व की तरह ही सक्रिय करने की जरूरत है।
विद्यार्थी मोर्चा के राहुल पासवान एवं राजहंस कुमार मुन्ना ने कहा कि इस लचर व्यवस्था के जिम्मेदार सभी लोग हैं। इसलिए इसको सुधारने के लिए सबको मुहिम छेड़ने की जरूरत है। छात्रा ज्योति ने कहा कि आज छात्राएं विभिन्न क्षेत्रों में आगे हैं वर्ग से जुड़ने में भी उसे अग्रिम पंक्ति में रहने की जरूरत है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा व्यवस्था में काफी गिरावट आई है। इसका समाधान एकजुट होकर ही किया जा सकता है। यह पहल इसी की कड़ी है।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय संबोधन करते हुए प्रधानाचार्य प्रोफेसर के. पी. यादव ने कहा कि दुखद है कि आज छात्रों की संख्या वर्ग से लगातार कम होती जा रही हैं, जबकि शिक्षण संस्थानों में छात्रों के नामांकन की संख्या लगातार बढ़ रही है। बिना वर्ग आए जीवन में सच्ची शिक्षा नहीं पाई जा सकती पहले बहुत अल्प सुविधाएं होती थीं, तो अत्यधिक विद्यार्थी आते थे। अब सुविधाएँ बहुत हो गई हैं, लेकिन छात्र नहीं आते हैं। जितने ही संसाधन हैं, उसी में महाविद्यालय शैक्षणिक माहौल बनाने में संकल्पित है।
उन्होंने अपील की कि आइए हम सब मिलकर नकारात्मक माहौल को बदलने की मुहिम छेड़े और महाविद्यालय से निकला यह मुहिम विश्वविद्यालय में वर्ग से छात्रों को जोड़ने का आधार बने यही कामना है।
यह प्रयास कुछ हद तक भी सफल रहा तो यही इस कार्यक्रम की सार्थकता होगी। उन्होंने कहा कि यह प्रयास आगे भी विभिन्न रूपों में जारी रहेगा।
इस अवसर पर सभी शिक्षक, विभिन्न छात्र संगठनों के छात्र नेता एवं बड़ी संख्या में छात्र- छात्राएँ उपस्थित रहीं।