रंजन कुमार के लिए (‘फेसबुक फ्रेन्डशिप डे’ के बहाने)
ये हैं रंजन कुमार (रंजन भैया)। यूँ तो मेरा इनसे परिचय 2002-2003 से ही है, लेकिन फेसबुक पर ये मेरे चार साल पुराने मित्र हैं। खैर इसी बहाने कुछ बातें-
1. आप वरिष्ठ कथाकार, उम्दा चित्रकार, सजग संस्कृतिकर्मी और सबसे अधिक मुकम्मल इन्सान हैं।
2. बहुत दिनों तक मैं संकोचवश रंजन भैया से मात्र औपचारिक संबंध रखता था। यह कुछ इसलिए भी; क्योंकि मैं पारस भाईजी (रंजन भैया के छोटे भाई) के साथ ज्यादा जुड़ा हुआ था। लेकिन धीरे-धीरे मैं रंजन भैया के करीब आया।
3. इनके व्यक्तित्व में गजब का आकर्षण है। इनके सौन्दर्यबोध खासकर फिटनेस (किसी की नजर न लगे) और ड्रेस सेन्स से तो प्रभावित हुए बिना रहा ही नहीं जा सकता है।
4. मैं उनके वैचारिक खुलेपन, दूसरों को सम्मान देने की आतुरता सहित कई अन्य गुणों से ज्यादा प्रभावित हूँ। मुझे इनसे बातें करते हुए काफी अच्छा लगता है और काफी प्रेरणा भी मिलती है।
5. इनके पास साहित्य एवं फिल्म से लेकर समाज एवं दर्शन तक के विविध विषयों पर गहरी जानकारी और उससे भी अधिक सुलझी समझ है, यह दुर्लभ है।
6. यहाँ खास बात यह कि अप्रैल 2007 में मेरे होम प्रोडक्शन में बनी पहली अंगिका फिल्म ‘खगड़िया वाली भौजी’ के प्रिमियर शो में रंजन भैया खगड़िया पहुंचे थे। एक बार किसी तरह मेरे चाचा जी का सारा पैसा (एटीएम सहित) चोरी हो गया, तो रंजन भैया ने तत्काल आवश्यक पैसे उपलब्ध कराए थे।
7. बहुत बातें हैं कभी इतमिनान से लिखूंगा (इसी आलस्य में मैं रंजन भैया के ऊपर केन्द्रित पुस्तक ‘आईने बोलते हैं’ में अपना आलेख नहीं दे पाया।)
बहरहाल रंजन भैया के स्वस्थ, प्रसन्न एवं प्रेममय दीर्घायु जीवन की प्रार्थना।
‘ Facebook Friend’ बनने के लिए आभार।
29. 05. 2017
Author: Bnmu Samvad
Dr. Sudhanshu Shekhar, Bhupendra Narayan Mandal University, Laloonagar, Madhepura-852113 (Bihar), India