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BNMU बीएनएमयू : 18 स्नातकोत्तर विभागों को मिली स्वीकृति

बीएनएमयू : 18 स्नातकोत्तर विभागों को मिली स्वीकृति
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बी. एन. मण्डल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में कुल 18 विषयों
में स्नातकोत्तर विभागों की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गई है। इनमें समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास, हिंदी, अंग्रेजी, दर्शनशास्त्र, उर्दू, गणित, संस्कृत, मैथिली, फारसी, सांख्यिकी, भूगर्भशास्त्र, संगीत, पीएमआईआर, ग्रामीण अर्थशास्त्र, प्राचीन इतिहास एवं मानवशास्त्र के नाम शामिल हैं।

अब हो गए हैं 27 स्नातकोत्तर विभाग

स्नातकोत्तर विभाग
उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि विश्वविद्यालय में पूर्व से भौतिकी, रसायनशास्त्र, जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, मनोविज्ञान, राजनीति विज्ञान, गृह विज्ञान, भूगोल एवं वाणिज्य छः विभाग स्वीकृत थे। संप्रति अठारह विभागों की स्वीकृति के साथ अब विश्वविद्यालय में अब 27 स्नातकोत्तर विभाग हो गए हैं।

162 पदों के सृजन को भी मिली स्वीकृति

उन्होंने बताया कि नव स्वीकृत अठारह विभागों के लिए कुल 162 पदों के सृजन की भी स्वीकृति प्रदान की गई है। इनमें शिक्षकों के कुल 126 और शिक्षकेतरकर्मियों के 36 पद शामिल हैं। प्रत्येक विभाग के लिए एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर एवं चार असिस्टेंट प्रोफेसर और एक-एक निम्न वर्गीय लिपिक एवं पुस्तकालय सहायक के पद सृजित किए गए हैं। इसके लिए कुल इक्कीस करोड़ सत्तर लाख एक्यासी हजार अस्सी रुपए मात्र वार्षिक व्ययभार संभावित है।

उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में बिहार सरकार के संयुक्त सचिव संजय कुमार ने महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी), बिहार को पत्र प्रेषित किया है और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण एवं कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर को भी उसकी प्रति उपलब्ध कराई है।

कुलपति ने जताई प्रसन्नता

कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण ने बीएनएमयू में 18 स्नातकोत्तर विभागों की स्वीकृति और उसमें पदसृजन पर प्रसन्नता व्यक्त की है और इसके लिए बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, उर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव एवं शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के प्रति आभार व्यक्त किया है।

NYK नेहरू युवा केन्द्र संगठन द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित त्रिदिवसीय युवा नेतृत्व एवं सामुदायिक विकास प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

युवाओं पर ही निर्भर है राष्ट्र का भविष्य : प्रो. नरेश कुमार

युवा ऊर्जा के अक्षय भंडार हैं और उनके ऊपर ही समाज एवं राष्ट्र का भविष्य निर्भर है। अतः युवाओं का समुचित शिक्षण एवं प्रशिक्षण हम सबों की जिम्मेदारी है।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा में आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. नरेश कुमार ने कही।

वे नेहरू युवा केन्द्र संगठन द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित त्रिदिवसीय युवा नेतृत्व एवं सामुदायिक विकास प्रशिक्षण शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि युवाओं को सामुदायिक विकास जिम्मेदारी लेनी चाहिए और समाज एवं राष्ट्र को अग्रिम पंक्ति में लाने का संकल्प लेना चाहिए।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता असिस्टेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कभी भी परीक्षा में प्राप्त अंक के आधार पर अपना मूल्यांकन नहीं करें। कोई एक परीक्षा या कोई एक परिणाम आपके पूरे जीवन का निर्धारण नहीं कर सकती है। न सफलता से इतराएँ और न ही असफलता से घबड़ाएं।

उन्होंने कहा कि हमेशा अपना आत्ममूल्यांकन करें और प्रत्येक दिन स्वयं को बेहतर बनाने की कोशिश करें। दूसरों से नहीं, बल्कि स्वयं से प्रतियोगिता करें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी ने की। संचालन सीनेटर रंजन यादव ने किया।

इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग के डॉ. सिकंदर कुमार, कार्यक्रम संयोजक नीतीश कुमार, आमोद आनंद, रंगकर्मी विकास कुमार, सौरभ कुमार, पत्रकार मनीष कुमार, बिपिन कुमार, मो. इरशाद आलम, आनंद कुमार, स्वीति जोशी, नीलू कुमारी, विभा कुमारी, प्रिंस कुमार, कुमार संभव, विक्रम कुमार, चंदन कुमार, सौरभ कुमार, सोनू कुमार, बाबू साहब, इरशाद आलम, आनंद कुमार, स्वाति जोशी, मो. रहमतउल्ला, दिब्यांशु कुमार, बिपिन कुमार, नीलू कुमारी, रानी कुमारी, अजय कुमार सहित काफी संख्या में प्रतिभागी मौजूद थे।

BNMU पूर्व कुलपति के पार्थिव शरीर के दर्शनार्थ उमड़ी भीड़

पूर्व कुलपति के पार्थिव शरीर के दर्शनार्थ उमड़ी भीड़


बीएनएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. जयकृष्ण यादव के पार्थिव शरीर को मंगलवार को पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय एवं भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में लाया गया। सभी जगहों पर उनके दर्शनार्थ शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों की भीड़ लगी रही।

कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण ने भी डॉ. यादव के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। कुलपति ने कहा कि डॉ. जयकृष्ण यादव वे 14. 08. 1997 से 02. 01. 1998 तक विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। उनके निधन से शिक्षा जगत को अपूर्णीय क्षति हुई है।

उन्होंने बताया कि डॉ. यादव टीपी कॉलेज, मधेपुरा में दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष एवं एनसीसी पदाधिकारी और पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, मधेपुरा में प्रधानाचार्य भी रहे थे। अपनी सेवाकाल के अंतिम वर्षों में उन्हें विश्वविद्यालय की कुलपति के रूप में सेवा का अवसर मिला था। वे अभी भी विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होकर उसकी शोभा बढ़ाते थे।

डॉ. यादव को श्रद्धांजलि देने वालों में प्रति कुलपति प्रो. आभा सिंह, कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर, परीक्षा नियंत्रक डॉ. गजेन्द्र कुमार, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डॉ. कैलाश प्रसाद यादव, पार्वती विज्ञान महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. अशोक कुमार यादव, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. कुलदीप यादव, उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव, डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डॉ. ए. के. मल्लिक, बीपी यादव, डॉ. विनोद कुमार यादव, मयंक कुमार आदि उपस्थित थे।

BNMU विश्वविद्यालय समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष (सेवानिवृत्त) डॉ. कुलदीप यादव ने दिया अपने व्यक्तिगत खर्च से बीएनएमयू, मधेपुरा के उत्तरी परिसर में भव्य मुख्य द्वार के निर्माण का प्रस्ताव

भव्य द्वार बनाने का प्रस्ताव —
विश्वविद्यालय समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष (सेवानिवृत्त) डॉ. कुलदीप यादव ने अपने व्यक्तिगत खर्च से बीएनएमयू, मधेपुरा के उत्तरी परिसर में भव्य मुख्य द्वार के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। इसमें डॉ. यादव ने मंगलवार को कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण को एक आवेदन समर्पित किया। इसमें उन्होंने द्वार के लिए अपनी ओर से विश्वविद्यालय अभियंता से प्राक्कलित राशि इक्कीस लाख अस्सी हजार रूपए मात्र व्ययभार वहन करने की सहमति जताई है और उस पर निर्माण कर्ता के रूप में डॉ. कुलदीप यादव, सहवानी, जानकीनगर, पूर्णिया अंकित करवाने का अनुरोध किया है।

कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण ने डॉ. यादव के इस प्रस्ताव की सराहना की है और इसे अभिषद् की आगामी बैठक में विचारार्थ रखने का आदेश दिया है।

इस अवसर पर उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर सहित अन्य उपस्थित थे।

BNMU पूर्व कुलपति डॉ. जयकृष्ण यादव के निधन पर शोक

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पूर्व कुलपति के निधन पर शोक

बीएनएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. जयकृष्ण यादव के निधन से ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में शोक व्याप्त है।

प्रधानाचार्य डॉ. कैलाश प्रसाद यादव ने बताया कि डॉ. जयकृष्ण का सोमवार को प्रातः लगभग 10:00 बजे निधन हो गया। इससे शिक्षा जगत को अपूर्णीय क्षति हुई है।

दर्शनशास्त्र विभाग में प्राध्यापक डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि डॉ. जयकृष्ण टीपी कॉलेज, मधेपुरा में दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष तथा पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, मधेपुरा में प्रधानाचार्य भी रहे थे। अपनी सेवाकाल के अंतिम वर्षों में उन्हें विश्वविद्यालय की कुलपति के रूप में सेवा का अवसर मिला था। वे अभी भी विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होकर उसकी शोभा बढ़ाते थे।

अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन ने बताया कि डॉ. जयकृष्ण का पार्थिव मंगलवार को पू. 10:00 महाविद्यालय परिसर में दर्शनार्थ लाया जाएगा। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों को उपस्थित रहने का निदेश दिया गया है।

BNMU जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष बने प्रो. नरेंद्र श्रीवास्तव

विभागाध्यक्ष बने प्रो. नरेंद्र श्रीवास्तव
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बीएनएमयू के पूर्व डीएसडब्ल्यू एवं पूर्व कुलसचिव प्रो. (डॉ.) नरेंद्र श्रीवास्तव विश्वविद्यालय जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष बनाए गए हैं। उन्होंनेने सोमवार को कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर को आपना योगदान समर्पित किया।

इस अवसर पर विकास पदाधिकारी डॉ. ललन प्रसाद अद्री, उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर, माया के अध्यक्ष राहुल यादव, सीएस पांडेय आदि उपस्थित थे‌।

उप कुलसचिव स्थापना डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि प्रो. नरेंद्र श्रीवास्तव ने 8 नवंबर, 1996 को असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपने शैक्षणिक कैरियर की शुरुआत की है। वे 2007 टी. पी. कालेज, मधेपुरा में बीसीए के समन्वयक बने। 2010 में विश्वविद्यालय कम्प्यूटर शेल के निदेशक बने।‌ वे 2010 उप कुलसचिव (वोकेशनल एवं प्रोफेशन कोर्स) और 2011 में उप कुलसचिव (शैक्षणिक) बने। दिसंबर 2017 से जुलाई 2018 तक कुलसचिव और उसके बाद अध्यक्ष, छात्र कल्याण भी रहे हैं।

उन्होंने बताया कि प्रो. श्रीवास्तव ने राजभवन, पटना द्वारा बनाई गई बायोटेक्नोलॉजी सीबीसीएस पाठ्यक्रम समिति के सदस्य (2018), इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कमिटी आफ यूनिवर्सिटी ऑफ बिहार के सदस्य भी रहे हैं।

उन्होंने बताया कि प्रो. श्रीवास्तव की तीन पुस्तकें और 20 शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। इन्होंने लगभग दो दर्जन राष्ट्रीय सेमिनारों में शोध पत्र प्रस्तुत किया है और इंडियन साइंस कांग्रेस के दो बार (मैसूर एवं मणिपुर अधिवेशन में) इन्वाइटेड स्पीकर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि प्रो. श्रीवास्तव इंडियन साइंस कांग्रेस, जूलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज एंड जूलाजिकल सोसायटी ऑफ इस्टर्न इंडिया के आजीवन सदस्य हैं। इन्हें भारत गौरव समिति, दिल्ली द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।

उन्होंने बताया कि 31 जनवरी को प्रो. (डॉ.) अरुण कुमार की सेवानिवृति के फलस्वरुप जन्तु विज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर के रूप में डॉ. नरेंद्र श्रीवास्तव को यह जिम्मेदारी दी गई है।

BNMU बीएनएमयू में भी खुला मुख्यमंत्री व्यवसायिक पाठयक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केन्द्र

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बीएनएमयू में भी खुला मुख्यमंत्री व्यवसायिक पाठयक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केन्द्र
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बिहार सरकार ने राज्य के छ: विश्वविद्यालयों में मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र की स्वीकृति प्रदान की है। इनमें भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के अलावा पटना विश्वविद्यालय, पटना, पाटलीपुत्र विश्वविद्यालय, पटना, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा एवं भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के नाम शामिल हैं।

*कुलपति ने जताई प्रसन्नता*
कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण ने बीएनएमयू में इस केंद्र की स्वीकृति मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की है और इसके लिए बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, उर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर और पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनीता देवी के प्रति आभार व्यक्त किया है।

*प्रतिभाओं को मिलेगा अवसर*

कुलपति ने बताया कि यह केंद्र बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (बिहार स्टेट बैकवर्ड क्लासेज फाइनेंस एंड डेवलपमेंट काॅरपोरेशन) के अंतर्गत संचालित है। इसकी शुरुआत उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति में पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है। इसके तहत संबंधित प्रतियोगिता परीक्षाएं यथा- एनईटी, जेआरएफ, जीएटीई, पीएटी, पीएचडी आदि की परीक्षा पूर्व निःशुल्क प्रशिक्षण
(कोचिंग) दी जाएगी। इससे इस क्षेत्र की प्रतिभाओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आगे आने का अवसर मिलेगा।

उन्होंने इस केंद्र की स्थापना के लिए निगम के प्रधान सचिव पंकज कुमार एवं विशेष सचिव डॉ. बिरेन्द्र प्रसाद यादव सहित सभी पदाधिकारियों को भी साधुवाद दिया है और विद्यार्थियों से अपील की है कि वे इस केंद्र का अधिकाधिक लाभ उठाएं।

*28 फरवरी, 2023 तक आवेदन आमंत्रित*

कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने बताया कि केंद्र में नामांकन हेतु 28 फरवरी, 2023 तक आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।आवेदन केंद्र या उप कुलसचिव स्थापना कार्यालय से नि: शुल्क प्राप्त किया जा सकता है अथवा निगम की वेबसाइट से डाउनलोड भी किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि फिलहाल यह केंद्र पुराने स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में प्राक् प्रशिक्षण केंद्र के साथ चलेगा। विद्यार्थी यहां स्वयं आकर भी आवेदन जमा करा सकते हैं अथवा निबंधित डाक से भी आवेदन भेज सकते हैं। पता है- निदेशक, मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र, पुरानी हिंदी विभाग, ओल्ड कैम्पस, भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर मधेपुरा-852113 (बिहार)।


*कुल 60 सीटों पर होगा नामांकन*
उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि केन्द्र में कुल 60 छात्र -छात्राओं का एक बैच (प्रशिक्षण अवधि 06 माह) संचालित कराया जाएगा। इसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए कुल उपलब्ध सीटों (60) में से 40 प्रतिशत (24) पिछड़ा वर्ग तथा 60 प्रतिशत (36) अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए अनुमान्य होगा। अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं की अनुपलब्धता की स्थिति में पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं को एवं पिछड़ा वर्ग के
छात्र-छात्राओं की अनुपलब्धता की स्थिति में अति पिछड़ा वर्ग के छात्र- छात्राओं का नामांकन किया जाएगा। दोनों कोटियों में छात्राओं के लिए 33 प्रतिशत छैतिज आरक्षण अनुमान्य है।

उन्होंने बताया कि केंद्र में नामांकन के लिए विद्यार्थियों का चयन संबंधित परीक्षाओं के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम
के अनुरूप विषय के बहु-विकल्पीय लिखित परीक्षा या काउंसिलिंग के माध्यम से चयन किया
जाएगा। विद्यार्थियों की आयु सीमा एवं न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता संबंधित कोर्स के अंतर्गत होने वाली
प्रतियोगिता परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम अर्हता के अनुरूप होनी चाहिए।छात्र-छात्रा एवं उनके अभिभावक की कुल वार्षिक आय तीन लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।

विभागाध्यक्ष नियुक्त

बीएनएमयू, मधेपुरा के दो स्नातकोत्तर विभागों में विभागाध्यक्षों की नियुक्ति की गई है। दोनों के शनिवार को योगदान करने की संभावना है।

उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि जंतु विज्ञान विभाग के वरिष्ठतम प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र श्रीवास्तव को विश्वविद्यालय जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वे डॉ. अरूण कुमार का स्थान लेंगे, जो 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हुए हैं। इधर, एम. एल. टी. कॉलेज, सहरसा के डॉ. शंभू प्रसाद सिंह को विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र का विभागाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वे सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष शोभाकांत कुमार का स्थान लेंगे।

समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष बने डॉ. राणा सुनील कुमार सिंह

एसएनआरकेएस कॉलेज, सहरसा के डॉ. राणा सुनील कुमार सिंह विश्वविद्यालय समाजशास्त्र विभाग के नए अध्यक्ष बनाए गए हैं। उन्होंने डॉ. कुलदीप कुमार का स्थान लिया है, जो 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हुए हैं।

डॉ. राणा ने शुक्रवार को कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर के समक्ष अपना योगदान समर्पित किया और कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण से भी शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर कुलानुशासक डॉ. बीएन विवेका, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. उषा सिन्हा, विकास पदाधिकारी डॉ. ललन प्रसाद अद्री, पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. राजीव रंजन, आर. एम. कॉलेज, सहरसा में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कविता कुमारी, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव एवं उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।

उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि नवनियुक्त विभागाध्यक्ष डॉ. राणा का जन्म 9 जनवरी, 1962 को जमुई जिलांतर्गत मलयपुर ग्राम में हुआ है। इन्होंने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर से प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की और ‘भारत में कागज उद्योग के श्रमिक : सामाजिक-आर्थिक पहलू का एक अध्ययन’ विषय पर पीएचडी (1995) की उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने बताया कि डॉ. राणा ने अपने शैक्षणिक कैरियर की शुरुआत 10 फरवरी, 1987 को एसएनआरकेएस कॉलेज, सहरसा में व्याख्याता के रूप में की थी। वे विगत तेरह साल से रमेश झा महिला महाविद्यालय, सहरसा में प्रतिनियोजित थे, जहां वे समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे।

उन्होंने बताया कि डॉ. राणा की तीन पुस्तकें ह्यूमेन अवेयरनेस इन कामन मास इन इंडिया, सोसल चेंज इंड इट्स प्रेस्पेक्टिव एवं सामाजिक शोध की पद्धति प्रकाशित हुई हैं। इन्होंने चार रिफ्रेशर कोर्स में भाग लिया है।

इनका 30 राष्ट्रीय सेमिनार में अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया। ये बिहार सोशियोलॉजिकल सोसायटी और इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसायटी के आजीवन सदस्य भी हैं।

BNMU परीक्षा नियंत्रक बने डॉ. गजेन्द्र

परीक्षा नियंत्रक बने डॉ. गजेन्द्र
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बीएनएमयू के महाविद्यालय निरीक्षक (कला एवं वाणिज्य) डॉ. गजेन्द्र कुमार ने शुक्रवार को परीक्षा नियंत्रक का अतिरिक्त प्रभार ग्रहण किया। शुक्रवार को कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर के समक्ष अपना योगदान समर्पित किया और कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण से भी शिष्टाचार भेंट की। कुलपति ने डॉ. कुमार को शुभकामनाएं दीं और सत्र-नियमितिकरण हेतु हरसंभव कदम उठाने का निदेश दिया। डॉ. कुमार ने कहा कि वे विश्वविद्यालय प्रशासन की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की हरसंभव कोशिश करेंगे और पूर्व परीक्षा नियंत्रक के अधूरे कार्यों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा है कि वे सबको साथ लेकर कार्य करेंगे और छात्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे। उन्होंने सत्र नियमितीकरण को अपनी पहली प्राथमिकता बताते हुए इसमें सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों से सहयोग की अपेक्षा की है।

इस अवसर पर पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. परमानंद यादव, डॉ. वैद्यनाथ, विकास पदाधिकारी डॉ. ललन प्रसाद अद्री, पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. राजीव रंजन, डॉ. उपेंद्र प्रसाद यादव, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव, डॉ. विनोद कुमार यादव एवं उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।

उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि डॉ. गजेन्द्र ने अपने शैक्षणिक कैरियर की शुरुआत 1985 ई. में बी. एन. एम. भी. कॉलेज, मधेपुरा से की। वहां से उनका वर्ष 2010 में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में तबादला हुआ। वे वहां इतिहास विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। वे महाविद्यालय के नोडल पदाधिकारी, परिसंपदा पदाधिकारी एवं उप प्रधानाचार्य और टाटा आयरन एंड स्टील हास्टल के अधीक्षक भी रहे हैं।

उन्होंने बताया कि डॉ. कुमार को वर्ष 2020 में विश्वविद्यालय के परिसंपदा पदाधिकारी की जिम्मेदारी दी गई थी। इस रूप में उन्होंने दिन रात एक कर काफी सराहनीय कार्य किया। पुनः उन्हें महाविद्यालय निरीक्षक (कला एवं वाणिज्य) की जिम्मेदारी मिली। इधर, गत 29 जनवरी की रात तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रो. आर. पी. राजेश के आकस्मिक निधन के बाद अगले आदेश अथवा नियमित नियुक्ति होने तक यह प्रभार प्रदान किया गया है।

उन्होंने बताया कि डॉ. कुमार की पहचान विश्वविद्यालय के लिए समर्पित पदाधिकारी के रूप में है और इन्हें आज तक जो भी जिम्मेदारी मिली है, उसका इन्होंने सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। ऐसे में यह आशा व्यक्त की जा सकती है कि ये परीक्षा नियंत्रक के पद की चुनौतियों का भी बखूबी सामना करेंगे और विश्वविद्यालय को एक नई पहचान दिलाने में सफल हो सकेंगे।