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BNMU। शिक्षा, समाज एवं संस्कृति अन्योन्याश्रित हैं : कुलपति

शिक्षा, समाज एवं संस्कृति तीनों एक-दूसरे से गहरे जुड़े हैं। इनमें अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है। राष्ट्र के विकास में तीनों की महती भूमिका है।अतः हम सबों को मिलकर शिक्षा, समाज एवं संस्कृति को सही रूपों में विकसित करने की जरूरत है। यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने कही। वे बुधवार को बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के फेसबुक पेज से ‘शिक्षा, समाज एवं संस्कृति’ विषय पर लाइव व्याख्यान दे रहे थे। व्याख्यान के पूर्व कुलपति का प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली, महाविद्यालय निरीक्षक (विज्ञान) डॉ. उदयकृष्ण, पीआरओ डाॅ. सुधांशु शेखर एवं कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
कुलपति ने कहा कि आम तौर पर समाज को व्यक्तियों का समूह माना जाता है। लेकिन व्यक्तियों के सभी समूहों को समाज नहीं कहते हैं। वह समूह जो किसी खास उद्देश्य की पूर्ति के लिए बने हों और व्यक्तियों की आपसी सहमति के आधार पर किसी स्थान विशेष में स्थायी रूप से रहते हों, समाज कहलाता है।समाज व्यक्ति के लिए एक अनिवार्यता है। इसलिए मनुष्य को सामाजिक प्राणी कहते हैं।
कुलपति ने कहा कि आज कोरोना संकट ने हमारे समाज पर व्यापक असर डाला है। इससे जानमाल की काफी क्षति हुई है। साथ ही सामाजिक तानेबाने पर ही बुरा असर पड़ रहा है। कोरोना से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का निदेश है। हमें एक-दूसरे से दो गज की दूरी रखनी है। लेकिन हमें सोशल डिस्टेंसिंग का सही अर्थ भौतिक दूरी है। हमें भावनात्मक दूरी नहीं रखनी है।
कुलपति ने ईश्वर से कामना की कि सिर्फ मधेपुरा एवं बिहार ही नहीं, बल्कि पूरा देश एवं पूरा संसार कोरोना मुक्त हो। पूरा संसार सुखी हो। सब सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें। किसी को भी दुःख का भागी नहीं बनना पड़े।
कुलपति ने कहा कि प्रत्येक समाज की उन्नति में शिक्षा  की महती भूमिका है। शिक्षा  ही संस्कृति का भी प्राणतत्व है। शिक्षा हमें गुरू (विशेषज्ञ) द्वारा शिक्षण से, ग्रंथों के अध्ययन से और आधुनिक काल में संचार माध्यमों से प्राप्त होती है। अगर व्यक्ति शिक्षित नहीं होंगे, तो उनका न तो चारित्रिक विकास हो पायेगा और न वे किसी कौशल या क्षमता से सम्पन्न हो सकेंगे। ऐसे लोग समाज को उत्कर्ष की ओर नहीं ले जा सकते। संभव है शिक्षा के बिना अज्ञान के अंधकार में भटकता व्यक्ति न केवल समाज के लिए, बल्कि स्वयं के लिए भी खतरा बन जाय।
कुलपति ने कहा कि समाज शिक्षा द्वारा ही विकास के पथ पर अग्रसर होता है। शिक्षा से ही व्यक्ति हुनरमंद बनता है। शिक्षा व्यक्ति का कौशल विकास करती है। गाँधी जी का मानना था कि शिक्षा सिर्फ अक्षर ज्ञान नहीं है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति के मस्तिष्क के साथ-साथ उसके शरीर एवं हृदय का भी विकास होना चाहिए।
कुलपति ने कहा कि नैतिक शिक्षा द्वारा नैतिक चेतना जगाकर व्यक्ति को नैतिक सद्गुणों और नैतिक मूल्यों को जीवन में अपनाने हेतु प्रेरित किया जा सकता है। इसलिए नैतिक शिक्षा को सभी प्रकार के पाठ्यक्रमों का एक अनिवार्य हिस्सा बनाने की आवश्यकता आजकल सभी कोई महसूस कर रहे हैं। मूल्यों के क्षरण की इस घड़ी में नैतिक शिक्षा एक अचूक दवा का काम कर सकती है।
कुलपति ने कहा कि  समाज-परिवर्तन में शिक्षा की महती भूमिका है। अतः सबों को समान एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए। राष्ट्रपति का बेटा या भंगी की संतान सबको शिक्षा एक समान इस नारे को धरातल पर उतारने की जरूरत है।
कुलपति ने कहा कि शिक्षा और संस्कृति एक दूसरे से जुड़ी है। मनुष्य अपनी बुद्धि का प्रयोग कर निरन्तर अपनी स्थिति को सुधारता रहता है, उन्नत करता रहता है, अपने को परिष्कृत करता रहता है। इस प्रयत्न के फलस्वरूप उसकी जीवन-पद्धति, उसके रीति-रिवाज, रहन-सहन, आचार-विचार आदि में परिष्कार होता रहता है। व्यक्तियों के किसी समूह विशेष की इसी परिष्कृत जीवन-पद्धति को संस्कृति कहते हैं।
कुलपति ने कहा कि संस्कृति का किसी राष्ट्र या राज्य के साथ एक तीव्र भावनात्मक सम्बन्ध हुआ करता है। यह किसी राष्ट्र की विशेष पहचान होती है। यदि किसी राष्ट्र की संस्कृति को कोई आघात पहुँचता है, तो उसके विरूद्ध तीव्र प्रतिक्रिया होती है।
कुलपति ने कहा कि भारत की संस्कृति सनातन है। यह सामासिक संस्कृति है। इसमें अनेक संस्कृतियाँ धुलमिल कर एकरूप हो गयी हैं; इसने अनेक संस्कृतियों को इस तरह आत्मसात् कर लिया है कि हमें अनेकता के बीच एकता का स्पष्ट बोध होता है। भारतीय संस्कृति में आचार्य देवो भव, मातृ देवो भव, पितृ देवो भव एवं अतिथि देवो भव का आदर्श प्रस्तुत किया गया है।
कुलपति ने कहा कि जिस देश की जैसी संस्कृति होती है, उस देश की शिक्षा का स्वरूप भी प्रायः उसी के अनुरूप होता है। जैसी शिक्षा होती है, वैसा ही समाज बनता है। शिक्षा हमारे सामाजिक सम्बन्धों को मजबूती प्रदान करती है। अतः हमें शिक्षा का सदुपयोग अपने समाज एवं संस्कृति के उन्नयन में करना चाहिए।
मालूम हो कि फेसबुक पेज पर कुलपति का यह व्याख्यान लोगों को काफी पसंद आया। बुधवार को अपराह्न तीन बजे तक लगभग तीन हजार लोगों ने देखा, पाँच सौ लोगों ने पसंद किया और इस पर 150 कमेंट्स आ चुका था।
प्रति कुलपति का व्याख्यान 21 मई को
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बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के फेसबुक पेज पर 21 मई (गुरूवार) को पूर्वाह्न 10.00 बजे प्रति कुलपति प्रो. (डाॅ.) फारूक अली का लाइव व्याख्यान होगा। वे प्रकृति की ओर लौटें विषय पर अपनी बात रखें। इस पेज का लिंक https://m.facebook.com/ bnmusamvad है।
कार्यक्रम के आयोजक डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि डाॅ. अली ने 1 जून, 2017 को बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के प्रति कुलपति का पदभार ग्रहण किया था। इन्होंने अपने कार्यकाल में कुलपति के साथ मिलकर यहाँ बदलाव एवं विकास के कई कीर्तिमान गढ़े हैं। इसके पूर्व वे टी. एन. बी. काॅलेज, भागलपुर में जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे।
कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने सभी शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों से अपील की है कि वे प्रति कुलपति का व्याख्यान सुनें और लाभान्वित हों।
जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि आगे शिक्षा संकायाध्यक्ष डाॅ. राकेश कुमार सिंह कोरोना के बाद अध्यापक शिक्षा और बीएनमुस्टा के महासचिव डाॅ. नरेश कुमार पर्यावरणीय नैतिकता विषय पर व्याख्यान देंगे। इन दोनों के व्याख्यान की तिथि एवं समय का निर्धारण शीघ्र ही किया जाएगा। अन्य शिक्षकों से भी व्याख्यान के लिए समय माँगा गया है।

BNMU। साहित्य और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक

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साहित्य और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक : काश्यप
साहित्य और संस्कृति का अन्योन्याश्रय संबंध है। ये परस्पर परिपूरक हैं। यह बात हिंदी विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा के एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रभारी अध्यक्ष डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप ने कही।
वे बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के फेसबुक पेज पर लाइव व्याख्यान में बोल रहे थे। इसका विषय साहित्य एवं संस्कृति था।
डाॅ. काश्यप ने कहा कि  साहित्य ज्ञान का संचित  कोश है। यह मनुष्य की चित्तवृत्तियों का प्रतिबिम्ब भी है। संस्कृति मनुष्य की चित्तवृत्तियों से संबंधित  है। साहित्य में संस्कृति की अभिव्यक्त होती है। साहित्य के माध्यम से मनुष्य की चित्तवृत्तियों एवं आचार-विचार का संस्कार एवं परिष्कार होता  है।
डाॅ. काश्यप ने कहा कि संस्कृति का संबंध  धर्म-दर्शन से लेकर रीति -रिवाज, रहन-सहन, आचार -विचार,आहार -विहार, ज्ञान-विज्ञान, व्यवहार-कौशल, जीवन-पद्धति, कला-मूल्य और मानवता से है। संस्कृति  एक व्यवस्था है। इसमें  जीवन के प्रतिमान, परंपरा, विचार, सामाजिक मूल्य आदि सम्मिलित हैं। मानव-संस्कृति श्रेष्ठ  संस्कृति  है। इसमें  मानवता, मानवीय  अस्मिता एवं स्वतंत्रता की  चेतना  है।
व्याख्यान माला के आयोजक जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के फेसबुक पेज पर संवाद-व्याख्यान माला की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए उपयोगी कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर फेसबुक लाइव व्याख्यान का आयोजन किया जाएगा। साथ ही सभी व्याख्यान बीएनएमयू संवाद यू-ट्यूब चैनल पर भी अपलोड किया ज्एगा। सभी शिक्षक, विद्यार्थी एवं कर्मचारी इस चैनल पर अपनी सुविधानुसार कभी भी व्याख्यान सुन सकेंगे।
उन्होंने बताया कि संवाद व्याख्यान माला का पहला व्याख्यान रविवार को तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डाॅ. विजय कुमार का हुआ था। आगे कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय एवं प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली से भी व्याख्यान के लिए समय माँगा गया  है। ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव, बीएनमुस्टा के महासचिव डाॅ. नरेश कुमार, सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान सहित अन्य पदाधिकारियों एवं शिक्षकों ने भी व्याख्यान के लिए अपनी सहमति दी है। शीघ्र ही उनके विषय एवं तिथि की घोषणा की जाएगी।

Hindi। साहित्य और संस्कृति एक दूसरे के पूरक

साहित्य और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक : काश्यप
साहित्य और संस्कृति का अन्योन्याश्रय संबंध है। ये परस्पर परिपूरक हैं। यह बात हिंदी विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा के एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रभारी अध्यक्ष डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप ने कही।
वे बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय फेसबुक पेज पर लाइव व्याख्यान में बोल रहे थे। इसका विषय साहित्य एवं संस्कृति था।
डाॅ. काश्यप ने कहा कि  साहित्य ज्ञान का संचित  कोश है। यह मनुष्य की चित्तवृत्तियों का प्रतिबिम्ब भी है। संस्कृति मनुष्य की चित्तवृत्तियों से संबंधित  है। साहित्य में संस्कृति की अभिव्यक्त होती है।साहित्य के माध्यम से मनुष्य की चित्तवृत्तियों एवं आचार-विचार का संस्कार एवं परिष्कार होता  है।
डाॅ. काश्यप ने कहा कि संस्कृति का संबंध  धर्म-दर्शन से लेकर रीति -रिवाज, रहन-सहन, आचार -विचार,आहार -विहार, ज्ञान-विज्ञान, व्यवहार-कौशल, जीवन-पद्धति, कला-मूल्य और मानवता से है। संस्कृति  एक व्यवस्था है। इसमें  जीवन के प्रतिमान, परंपरा, विचार, सामाजिक मूल्य आदि सम्मिलित हैं। मानव-संस्कृति श्रेष्ठ  संस्कृति  है। इसमें  मानवता, मानवीय  अस्मिता एवं स्वतंत्रता की  चेतना  है।
व्याख्यान माला के आयोजक जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के फेसबुक पेज पर संवाद-व्याख्यान माला की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए उपयोगी कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर फेसबुक लाइव व्याख्यान का आयोजन किया जाएगा। साथ ही सभी व्याख्यान बीएनएमयू संवाद यू-ट्यूब चैनल पर भी अपलोड किया ज्एगा। सभी शिक्षक, विद्यार्थी एवं कर्मचारी इस चैनल पर अपनी सुविधानुसार कभी भी व्याख्यान सुन सकेंगे।
उन्होंने बताया कि संवाद व्याख्यानमाला का पहला व्याख्यान रविवार को तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डाॅ. विजय कुमार का हुआ था। आगे कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय एवं प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली से भी व्याख्यान के लिए समय माँगा गया  है। ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव, बीएनमुस्टा के महासचिव डाॅ. नरेश कुमार, सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान   सहित अन्य पदाधिकारियों एवं शिक्षकों ने भी व्याख्यान के लिए अपनी सहमति दी है। शीघ्र ही उनके विषय एवं तिथि की घोषणा की जाएगी।

Hindi साहित्य और संस्कृति एक दूसरे पूरक : काश्यप

साहित्य और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक : काश्यप
साहित्य और संस्कृति का अन्योन्याश्रय संबंध है। ये परस्पर परिपूरक हैं। यह बात हिंदी विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा के एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रभारी अध्यक्ष डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप ने कही।
वे बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय फेसबुक पेज पर लाइव व्याख्यान में बोल रहे थे। इसका विषय साहित्य एवं संस्कृति था।
डाॅ. काश्यप ने कहा कि  साहित्य ज्ञान का संचित  कोश है। यह मनुष्य की चित्तवृत्तियों का प्रतिबिम्ब भी है। संस्कृति मनुष्य की चित्तवृत्तियों से संबंधित  है। साहित्य में संस्कृति की अभिव्यक्त होती है।साहित्य के माध्यम से मनुष्य की चित्तवृत्तियों एवं आचार-विचार का संस्कार एवं परिष्कार होता  है।
डाॅ. काश्यप ने कहा कि संस्कृति का संबंध  धर्म-दर्शन से लेकर रीति -रिवाज, रहन-सहन, आचार -विचार,आहार -विहार, ज्ञान-विज्ञान, व्यवहार-कौशल, जीवन-पद्धति, कला-मूल्य और मानवता से है। संस्कृति  एक व्यवस्था है। इसमें  जीवन के प्रतिमान, परंपरा, विचार, सामाजिक मूल्य आदि सम्मिलित हैं। मानव-संस्कृति श्रेष्ठ  संस्कृति  है। इसमें  मानवता, मानवीय  अस्मिता एवं स्वतंत्रता की  चेतना  है।
व्याख्यान माला के आयोजक जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के फेसबुक पेज पर संवाद-व्याख्यान माला की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए उपयोगी कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर फेसबुक लाइव व्याख्यान का आयोजन किया जाएगा। साथ ही सभी व्याख्यान बीएनएमयू संवाद यू-ट्यूब चैनल पर भी अपलोड किया ज्एगा। सभी शिक्षक, विद्यार्थी एवं कर्मचारी इस चैनल पर अपनी सुविधानुसार कभी भी व्याख्यान सुन सकेंगे।
उन्होंने बताया कि संवाद व्याख्यानमाला का पहला व्याख्यान रविवार को तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डाॅ. विजय कुमार का हुआ था। आगे कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय एवं प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली से भी व्याख्यान के लिए समय माँगा गया  है। ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव, बीएनमुस्टा के महासचिव डाॅ. नरेश कुमार, सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान   सहित अन्य पदाधिकारियों एवं शिक्षकों ने भी व्याख्यान के लिए अपनी सहमति दी है। शीघ्र ही उनके विषय एवं तिथि की घोषणा की जाएगी।

Covid-19। कोरोना के बाद : शिक्षा, समाज एवं पर्यावरण

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भारतीय दर्शन में है कोरोना संकट का समाधान : डाॅ. विजय कुमार
भारतीय संस्कृति में “सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया” की कामना की गई है। इसमें न केवल सभी मनुष्यों वरन समस्त चराचर जगत की चिंता है। यही शिक्षा एवं समाज की सम्यक् जीवन-दृष्टि है। यही दृष्टि हमें सभी सभी महामारियों को रोक सकती है और देश-दुनिया को विनाश से बचा सकती है। यह बात विश्वविद्यालय गाँधी विचार विभाग, तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डाॅ. विजय कुमार ने कही। वे शनिवार को कोरोना के बाद : शिक्षा, समाज एवं पर्यावरण विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इसका आयोजन बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज सुबह 11.30 बजे से किया
डाॅ. कुमार ने कहा कि भारतीय विचारकों ने प्रकृति-पर्यावरण के साथ सहयोग एवं सहकार की जीवन-दृष्टि विकसित की है। यह ग्राम आधारित सभ्यता-दर्शन है।
भारत ने जो रास्ता दिखाया है, यही वह रास्ता है, जिस पर चलकर दुनिया में स्थायी विकास एवं अमन-चैन आ सकता है।
 डाॅ. कुमार ने कहा कि हमें गाँवों को बचाना होगा। हमने विकास के नाम पर गाँवों को नष्ट किया। गाँव के स्वाबलंबन एवं सहकार को नष्ट किया। इसके कारण गाँव से पलायन बढ़ा और हमारे श्रमिक शहर गए। आज शहर से श्रमिक को भागने को विवश किया गया। इस हालात को समझने की जरूरत है।
डाॅ. कुमार ने कहा कि आज हमारे यहाँ लोग गांव वापस आए हैं। अब गाँव को नए सिरे से बनाने एवं जगाने की जरूरत है। शिक्षा, समाज एवं पर्यावरण को गाँव को केंद्र में रखकर विकसित करने की जरूरत है।
कार्यक्रम के आयोजक जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि इस व्याख्यान के साथ संवाद-व्याख्यानमाला की शुरुआत की गई है। इसके पहले वक्ता डाॅ. विजय मूलतः एक देशज चिंतक एवं एक्टीविस्ट हैं। ये किसी भी विषय पर बेबाक एवं मौलिक टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं। कार्यक्रम में कुलानुशासक डाॅ. बी. एन. विवेका, सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान, साहित्यकार डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप, सीनेटर रंजन यादव, शोधार्थी सारंग तनय, केंद्रीय भंडार प्रभारी बिमल कुमार, सौरभ कुमार चौहान सहित दर्जनों लोगों ने भाग लिया।
जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के फेसबुक पेज पर संवाद-व्याख्यान माला की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत पहला व्याख्यान रविवार को डाॅ. विजय कुमार (भागलपुर) का हुआ। दूसरा व्याख्यान मंगलवार को ‘साहित्य एवं संस्कृति’ विषय पर डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप का होगा। कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय, प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली सहित अन्य पदाधिकारियों एवं शिक्षकों से भी व्याख्यान के लिए समय माँगा गया  है। शीघ्र ही उनके विषय एवं तिथि की घोषणा की जाएगी। ये सभी व्याख्यान बीएनएमयू संवाद यू-ट्यूब चैनल पर भी अपलोड किया ज्एगा। सभी शिक्षक, विद्यार्थी एवं कर्मचारी इस चैनल पर अपनी सुविधानुसार कभी भी व्याख्यान सुन सकते हैं।

BNMU। बीएनएमयू : विभिन्न पदाधिकारियों की बैठक

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विभिन्न पदाधिकारियों की बैठक
भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक शनिवार को आयोजित की गई। इसमें विश्वविद्यालय के कार्यों को और गति देने पर विचार किया गया। बैठक में ऑनलाइन लर्निंग की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया गया और इसमें बीपीएससी के माध्यम से नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों की सक्रिय भागीदारी की प्रशंसा की गई।प्रति सप्ताह प्रतिवेदन भेजा जा रहा है। ई. लर्निंग का काम चल रहा है। प्रति सप्ताह राज भवन को भी ई. लर्निंग का प्रतिवेदन भेजा जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा  यू-ट्यूब 527 एवं टेलीग्राम 260 ई. कंटेंट जारी किए गए हैं। वेबसाइट पर 396 कंटेंट अपलोड किया गया है।
अपर सचिव, राज्यपाल सचिवालय, बिहार, राजभवन पटना के पत्रांक-वि.वि.(विविध)-11/2020-758/रा. स.(1), दिनांक 14.05.2020 और सरकार के विशेष सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार सरकार, पटना के पत्रांक 15/एम 1-40/2020-799 दिनांक 11.05.2020 के आलोक में कोविड-19 के कारण लाॅकडाउन अवधि में विश्वविद्यालय के आवश्यक कार्य सुचारु रूप से कार्यान्वयन हेतु कई निर्देश दिए हैं।
1. विश्वविद्यालय मुख्यालय / स्नातकोत्तर विभागों/ महाविद्यालयों के कार्यालय एवं कोषांग कर्मचारियों के वेतनादि भुगतान, न्यायालय से संबंधित वाद, संबंधन से संबंधित एवं अन्य अत्यावश्यक कार्यों के लिए खुले रहेंगे।
2. विश्वविद्यालय मुख्यालय /स्नातकोत्तर विभागों/ महाविद्यालयों में वर्ग “क” एवं “ख” के कर्मी /अधिकारी/ सेवक नियमित तौर पर प्रतिदिन कार्यालय आयेंगे। वर्ग ” ग” एवम अन्य न्यून वर्गीय कर्मी तथा संविदा कर्मी के 33% कर्मचारी प्रतिदिन कार्यालय आयेंगे।
3. विश्वविद्यालय मुख्यालय/स्नातकोत्तर विभागों/महाविद्यालयों के प्रशाखाओं /कोषांगों में पदस्थापित कर्मियों/डाटा एंट्री ऑपरेटरों / संविदा कर्मियों/कार्यालय परिचारी के संबंध में संबंधित नियंत्री पदाधिकारी द्वारा आंतरिक व्यवस्था के तहत रोस्टर का निर्धारण किया जायेगा। यह रोस्टर दिनांक- 17.05.2020 तक प्रभावी रहेगा।
4. विश्वविद्यालय मुख्यालय/स्नातकोत्तर विभागों /महाविद्यालयों के सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को कोविड-19 के प्रबंधन संबन्धी राष्ट्रीय मार्गदर्शिका तथा कार्यालय में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए निर्धारित SOP का अक्षरशः पालन करना होगा एवम सभी पदाधिकारी / कर्मी मास्क पहन कर कार्यालय आएंगे।
5.भारत सरकार के पत्रांक 40-3/2020-DM-1(A) दिनांक 15.05.2020 के मार्गदर्शिका के अनुसार विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित महाविद्यालयों एवं स्नातकोत्तर विभागों में अध्ययन-अध्यापन का कार्य स्थगित रहेगा।तथापि ऑनलाइन अध्ययन-अध्यापन के माध्यम से एकैडमिक कैलेण्डर का अनुपालन करेंगे।
6.लॉक डाउन की अवधि में नियमित विश्वविद्यालय सेवकों का कोविड-19 महामारी के कारण वेतन भुगतान के संबंध में वित्त विभाग के पत्रांक-2419 दिनांक 04.05.2020 में वर्णित निर्देश लागू होंगे।
बैठक में कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई और आवश्यक निर्णय लिए गए।
बैठक में प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली, डीएसडब्लू डॉ. अशोक कुमार यादव, कुलानुशासक डॉ. बी. एन. विवेका, कुलसचिव डॉ. कपिलदेव प्रसाद एवं वित्त पदाधिकारी सूरजदेव प्रसाद उपस्थित थे।

ऑनलाइन होगा बीएनएमयू

मई के अंत तक सभी कार्य होंगे ऑनलाइन  : कुलपति
बीएनएमयू, मधेपुरा में मई माह के अंत तक सभी कार्य ऑनलाइन होंगे। इसके लिए यूएमआईएस के माध्यम से सभी तैयारियाँ लगभग पूरी कर ली गई हैं। इस संबंध में मंगलवार को कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया। 
यूएमआईएस के अध्यक्ष  डाॅ. फारूक अली ने बताया कि विश्वविद्यालय यूएमआईएस काफी अच्छे ढंग से कार्य कर रहा है। इससे विद्यार्थियों को काफी सुविधाएं हो रही हैं। उन्होंने बताया कि यूएमआईएस के माध्यम से ऑनलाइन नामांकन एवं परीक्षाफल प्रकाशन का कार्य सफलतापूर्वक किया जा रहा है। शीघ्र ही पूरा स्टूडेंट सायकिल का पूरा  काम ऑनलाइन होगा।  वेतन, पेंशन आदि के कार्य भी ऑनलाइन संपादित करने की प्रक्रिया जारी है।
विश्वविद्यालय द्वारा सभी पदाधिकारियों को यह निदेश दिया है कि लाॅकडाउन में भी विश्वविद्यालय का कोई कार्य बाधित नहीं हो। सभी पदाधिकारी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने कार्यों का संपादन करें। यूएमआईएस कार्यालय में भी कार्य जारी है।
इस अवसर पर वित्तीय परामर्शी सुरेशचंद्र दास,कुलसचिव कपिलदेव प्रसाद, वित्त पदाधिकारी सूरजदेव प्रसाद, नोडल पदाधिकारी डाॅ. अशोक कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।