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*हमेशा कायम रहेगी कीर्ति बाबू की यश, कीर्ति एवं ख्याति : कुलपति*

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*कीर्ति कुम्भ (स्मरण एवं संवाद)‌ का आयोजन*

*हमेशा कायम रहेगी कीर्ति बाबू की यश, कीर्ति एवं ख्याति : कुलपति*

महामना कीर्ति नारायण मंडल का स्थूल शरीर सन् 1997 में आज ही के दिन हमारे बीच से चला गया।‌ लेकिन उनकी यश, कीर्ति एवं ख्याति आज भी कायम है और हमेशा कायम रहेगी। उनके त्याग-तपस्या एवं कर्मनिष्ठा से हमेशा समाज को प्रेरणा मिलता रहेगा।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रो. बी. एस. झा ने कही। वे शुक्रवार को ‘कीर्ति- कुम्भ’ (स्मरण एवं संवाद) कार्यक्रम में उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में संस्थापक महामना कीर्ति नारायण मंडल (1911-1997) की 28 वीं पुण्यतिथि पर किया गया।

*महात्मा बुद्ध की तरह गृहत्याग थे कीर्ति बाबू*

कुलपति ने कहा कि कीर्ति बाबू ने समाज में शिक्षा की रौशनी फैलाने के लिए महात्मा बुद्ध की तरह अपना गृहत्याग कर दिया। वे ज्ञान की खोज में वे बनारस एवं प्रयागराज आदि धर्म स्थलों में भी गए।‌ अंततः उन्हें यह ज्ञान हुआ कि दुखी-पीड़ित लोगों की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। फिर वे मधेपुरा वापस आ गए और यहां अपने आपको शिक्षा के प्रचार-प्रसार में झोंक दिया।

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*महात्मा गाँधी की तरह सत्याग्रही थे कीर्ति बाबू*

उन्होंने बताया कि सन् 1952 ई. में मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार भूपेन्द्र नारायण मंडल पराजित हुए। नेताओं ने माना कि पिछड़े समाज में उच्च शिक्षा के आभाव के कारण लोग समाजवादी सिद्धांतों की आत्मसात नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए यहां एक उच्च शिक्षण संस्थान खोलने की आवश्यकता महसूस की गई। इसी मोड़ पर कीर्ति नारायण मंडल ने अपने पिता के समक्ष महात्मा गाँधी की तरह सत्याग्रह करके ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय की स्थापना कराई।

 

*पिता एवं माता दोनों के नाम पर महाविद्यालय*

उन्होंने कहा कि कीर्ति नारायण मंडल वैसे महान सुपुत्र थे, जिन्होंने अपने पिता एवं माता दोनों के नाम पर महाविद्यालय की स्थापना की। उन्होंने अपने पिता के नाम पर ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय (1953 ई.) और अपनी माताजी के नाम पर पार्वती विज्ञान महाविद्यालय (1978) की स्थापना की। आगे यह दोनों महाविद्यालय मधेपुरा में विश्वविद्यालय के निर्माण का आधार बना।

 

*कर्ण की तरह दानी थे कीर्ति बाबू*

मुख्य वक्ता मानविकी संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार चौधरी ने कहा कि कीर्ति बाबू कर्ण की तरह महादानी थे। उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति संपत्ति का कण-कण समाज को दान कर दिया और अपने लिए कुछ भी बचाकर नहीं रखा। “जिसने अर्पित कर दी अपनी बोटी-बोटी/रखी नहीं बचाकर अपने लिए रोटी।”

 

उन्होंने कहा कि कीर्ति बाबू ने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा- जागरण के लिए समर्पित कर दिया। वे जहां-जहां रहे वहां-वहां कोई-न-कोई शिक्षण संस्थान अस्तित्व में आया। “जिस ओर साधना का रथ बढ़ जाता तेरा/ उस ओर सृजन की नित नई गंगा बहती।

 

*दधीचि थे कीर्ति बाबू*

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि कीर्ति बाबू दधीचि थे। उन्होंने कोसी में शिक्षा के प्रसार के लिए अपना सर्वस्व दान कर दिया। उन्होंने दर्जनों शैक्षणिक संस्थानों का निर्माण कर कोसी-सीमांचल में शैक्षणिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।

 

*आधुनिक कोसी के विश्वकर्मा थे कीर्ति बाबू*

विषय प्रवेश करते हुए शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. रत्नदीप ने कहा कि कीर्ति नारायण मंडल आधुनिक कोसी के विश्वकर्मा थे।इस क्षेत्र के विकास में उनका योगदान सर्वोपरि है।

 

*हमेशा बनी रहेगी कीर्ति बाबू की ख्याति*

कार्यक्रम का संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कीर्ति नारायण मंडल जैसे त्यागी पुण्यात्मा का स्मरण तथा उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संवाद करना कुम्भ-स्नान के जैसे ही शुभ-फलदायी है। हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम उनके विचारों एवं कार्यों को जन-जन तक पहुंचाएं।

 

इस अवसर पर एनएसएस समन्वयक डॉ. उपेन्द्र प्रसाद यादव तथा परिसंपदा प्रभारी शंभू नारायण यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

 

*कुलपति को भेंट की गई चार पुस्तकें*

कार्यक्रम के प्रारंभ में एनसीसी पदाधिकारी ले. गुड्डु कुमार के नेतृत्व में एनसीसी कैडेट्स द्वारा कुलपति की अगुवानी की गई।कुलपति एवं अन्य अतिथियों द्वारा ठाकुर प्रसाद एवं कीर्ति नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की गई। तदुपरांत विधिवत दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अतिथियों को अंगवस्त्रम् एवं स्मृतिचिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। कुलपति को चार पुस्तकें भेंट की गईं। इनमें प्रो. विनय चौधरी की पुस्तक कोसी-पुत्र एवं दधीचि की हड्डी और सुधांशु शेखर की पुस्तक गाँधी-विमर्श एवं सामाजिक न्याय के नाम शामिल हैं।

 

इस अवसर पर डॉ. वीणा कुमारी, डॉ. मनोज कुमार यादव, डॉ. मिथिलेश कुमार, ले. गुड्डु कुमार, डॉ. रोहिणी, दीपक कुमार राणा, डॉ. यासमीन रसीदी, डॉ. कुमार सौरभ, डॉ. राकेश, डॉ. शहरयार अहमद, डॉ. मनोज कुमार ठाकुर, अनिल कुमार, डॉ. जावेद अहमद, डॉ. सुप्रिया कुमारी, डॉ. राहुल, संजीव कुमार, श्वेता कुमारी, मनीष कुमार, महेश कुमार, मोनिका भारती, वैष्णवी पांडे, खुशबू कुमारी, आशीष कुमार, भूपेश कुमार, चंदन कुमार, पायल कुमारी, श्रुति प्रिया, काजल कुमारी, काजल कुमारी, सूरज कुमार, ओमप्रकाश कुमार, मुस्कान सिंह, सोनी प्रिया, असीम आनंद, रागिनी कुमारी, संजना कुमारी, जूही कुमारी, निकिता, छोटी सिंह, निकिता, शिल्पी, राघव राज, प्रभास कुमार, सुजीत कुमार, आयुष कुमार, ज्योतिष कुमार, बाबू साहब, राजा कुमार, रवि आनंद, पुष्पा, संदीप कुमार, अंकित कुमार, अमित कुमार आदि उपस्थित थे।

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मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद युवा संसद से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और प्रो. कैलाश प्रसाद यादव, प्रधानाचार्य, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।

मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। कीर्ति कुम्भ (स्मरण एवं संवाद) कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और मुख्य वक्ता प्रो. विनय कुमार चौधरी, पूर्व अध्यक्ष, मानविकी संकाय, बीएनएमयू, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।