*समाजवादी आंदोलन की चुनौतियां विषयक संवाद आयोजित*
भूपेन्द्र नारायण मंडल के विचारों को आगे बढ़ाएं युवा : प्रो. आनंद
मधेपुरा। ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में समाजवादी नेता भूपेंद्र नारायण मंडल की जयंती पर समाजवादी आंदोलन की चुनौतियां : तब और अब विषयक ऑनलाइन संवाद का आयोजन किया जाएगा। इसके मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता समाजशास्त्र विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), नई दिल्ली के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. आनंद कुमार थे। उन्होंने कहा कि भारत में समाजवादी विचारों का इतिहास काफी पुराना है। इसे स्वामी विवेकानंद, लोकमान्य तिलक एवं गांधी ने अपने-अपने ढंग से आगे बढ़ाने की कोशिश की थीं। लेकिन एक आंदोलन के रूप में भारतीय राजनीति में समाजवादी विचारों का प्रादुर्भाव 1930 के दशक में हुआ।
उन्होंने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल समाजवादी नेताओं के में विचारों में तेजस्विता धी और उनके बीच संघर्ष में अगली कतार आने की होड़ रहती थी। ऐसे में राष्ट्रीय आंदोलन की अगली कतार में समाजवादियों की जगह बनने लगी। जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए, तो उन्होंने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जयप्रकाश नारायण और नरेंद्र देव को रखा।
उन्होंने बताया कि 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की लगाम समाजवादी नेताओं ने ही संभाली। इस आंदोलन में डॉ. राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, अच्युत पटवर्धन, युसूफ मेहर अली, अरुणा आसफ अली, पूर्णिमा बैनर्जी, कर्पूरी ठाकुर एवं भूपेंद्र नारायण मंडल आदि ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी।
उन्होंने कहा कि भूपेन्द्र नारायण मंडल ने समाजवादी विचारों को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया था। वे वैसे लोगों में शामिल थे, जो अपने निजी हितों की कुर्बानी देने के लिए तत्पर रहते थे और अपने को खाद बनाकर समाज को जागरण की तरफ ले जाने के लिए प्रतिबद्ध थे। आज लोग मनी पावर, मीडिया पावर एवं मसल्स पावर से चुनाव जीत रहे हैं। लेकिन भूपेंद्र नारायण मंडल जैसे लोग जनशक्ति के दम पर चुनाव जीतते थे। हमें उनके विचारों एवं कार्यों से प्रेरणा ग्रहण करने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि वे जेएनयू के विद्यार्थी थे, तो उनको भूपेंद्र नारायण मंडल को करीब से जानने का अवसर मिला था। युवाओं के बीच उनका सबसे बड़ा आकर्षण था। वे बहुत कम बोलते थे और स्नेहल दृष्टि से युवाओं को प्रोत्साहित करते थे। अतः युवाओं को चाहिए कि वे भूपेंद्र नारायण मंडल के विचारों एवं कार्यों को समझें, उसे संकलित करें और उसे आगे बढ़ाने में योगदान दें।
*शिक्षा के महत्व को समझते थे भूपेंद्र*
कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य सह सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने किया। उन्होंने कहा कि भूपेन्द्र नारायण मंडल समाजवादी विचारों के प्रचार-प्रसार में शिक्षा की भूमिका से परिचित थे। यही कारण है कि उन्होंने ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय सहित कई शिक्षण संस्थानों के निर्माण एवं विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
*आगे भी जारी रहेगा संवाद*
कार्यक्रम के संचालन एवं विषय प्रवेश की जिम्मेदारी सबलोग पत्रिका के संपादक किशन कालजयी (दिल्ली) ने निभाई। उन्होंने कहा कि उदारीकरण का दौर शुरू होने के बाद समाजवादी आंदोलन के सामने नई-नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। इसे समझने की दिशा में विभिन्न माध्यमों से संवाद का आयोजन सराहनीय पहल है।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आयोजन सचिव सह दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि आगे भी विभिन्न विषयों पर संवाद कार्यक्रम जारी रहेगा। आने वाले दिनों में भूपेन्द्र नारायण मंडल के साथ-साथ कोसी से जुड़े अन्य विचारकों को केंद्र में रखकर भी संवाद आयोजित करने की योजना है।
कार्यक्रम में डॉ. मनीष कुमार झारखंड, डॉ. आलोक टंडन (उत्तर प्रदेश), डॉ अभय कुमार (मध्य प्रदेश), विनोद कुमार (हरियाणा), अजीत कुमार (दिल्ली), राजेश कुमार (अमेरिका) आदि ने क ई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए, जिसका मुख्य वक्ता ने संतोषप्रद उत्तर दिया। संवाद में अन्य एक सौ चालीस प्रतिभागियों की भी सक्रिय भागीदारी रही। इसका तकनीकी पक्ष डॉ. विनय कुमार (भोपाल) तथा सौरभ कुमार चौहान (मधेपुरा) ने संभाला।