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भारतरत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की 101वीं जयंती के अवसर पर तीन कार्यक्रमों में शामिल होने का सुअवसर मिला।

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भारतरत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की 101वीं जयंती के अवसर पर तीन कार्यक्रमों में शामिल होने का सुअवसर मिला।

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सादा जीवन उच्च विचार के धनी थे कर्पूरी ठाकुर : वीसी

बीएनएमयू में याद किए गए भारत रत्न जननायक कर्पूरी

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मधेपुरा। भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में मनाई गई। बीएनएमयू के सिंडिकेट हॉल में आयोजित समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. बीएस झा ने की। संचालन प्रो. नरेश कुमार ने किया। कुलपति प्रो. झा ने कर्पूरी ठाकुर के साथ बिताए पल को याद कर उन्हें नमन किया। कुलपति ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर सच्चे मायने में प्रखर समाजवादी नेता थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में अपने परिवार को किसी लाभ के पद पर नहीं बिठाया।

 

कुलपति ने कहा कि सादा जीवन उच्च विचार के धनी कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के विकास में सराहनीय काम कर लोगों के दिल में जगह बनाई। उन्होंने कहा कि देश की आजादी में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। वे समाज के सभी वर्गों को आगे बढ़ाने की कोशिश की।

 

मौके पर सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार, मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. राजीव कुमार मल्लिक, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव, प्रॉक्टर डॉ. बिमल सागर, डॉ. बीएन विवेका, डॉ. ललन प्रसाद अद्री, डॉ. अशोक कुमार पोद्दार, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ. सुधांशु शेखर, शंभू नारायण यादव, डॉ. राजेश्वर राय, राहुल यादव, डॉ. रंजन यादव, सौरभ यादव, सौरभ कुमार चौहान सहित अन्य मौजूद थे।

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*याद किए गए जननायक कर्पूरी ठाकुर*

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बिहार के विकास में कर्पूरी ठाकुर ने दिया अहम योगदान : प्रधानाचार्य

ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में शुक्रवार को राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) एवं सेहत केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में जननायक कर्पूरी ठाकुर ( 24 जनवरी, 1924 से 17 फरवरी, 1988) की 101वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा सह परिचर्चा का आयोजन किया गया।

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर का जन्म बिहार के दरभंगा (अब समस्तीपुर) जिले के पितौंझिया गाँव (अब कर्पूरी ग्राम) में हुआ था। उन्होंने महात्मा गाँधी के आह्वान पर एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। इस कारण उन्हें उन्होंने 26 महीने जेल में बिताना पड़ा।

 

उन्होंने बताया कि कर्पूरी ठाकुर ने भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद अपने गांव के स्कूल में शिक्षक के रूप में काम किया। वे 1952 में ताजपुर निर्वाचन क्षेत्र से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बिहार विधानसभा के सदस्य बने।

 

उन्होंने बताया कि कर्पूरी ठाकुर ने अपने कार्य एवं व्यवहार से प्रदेश एवं देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। वे बिहार के शिक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, उपमुख्यमंत्री एवं मुख्यमंत्री रहे। अपनी सभी भूमिकाओं में उन्होंने राज्य के समग्र विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए।

 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर केवल पिछड़ों एवं अतिपिछड़ों के प्रतिनिधि नहीं थे, बल्कि वे सर्वसमाज के नेता थे। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को आगे बढ़ाने की कोशिश की।

 

उन्होंने बताया कि कर्पूरी

ठाकुर ने वंचित वर्गों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए अंग्रेजी भाषा की औपनिवेशिक गुलामी का विरोध किया और हिंदी भाषा के माध्यम से शिक्षा देने की वकालत की। उन्होंने बिहार के शिक्षा मंत्री के रूप में मैट्रिकुलेशन पाठ्यक्रम के लिए अनिवार्य विषय के रूप में अंग्रेजी को हटा दिया था। इससे शिक्षा के क्षेत्र में गरीबों एवं पिछड़ों की भागीदारी बढ़ी और सामाजिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त हुआ।

 

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए एनसीसी पदाधिकारी

लेफ्टिनेंट गुड्डू कुमार ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर मधेपुरा से भी गहरे जुड़ाव रखते थे। यहां उनके नाम से मेडिकल कॉलेज की स्थापना बिहार सरकार का एक सराहनीय कदम है।

 

कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की। कार्यक्रम में रमेश कुमार, दिव्यज्योति कुमारी, सुमित कुमार आदि विद्यार्थियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

 

इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, धनंजय कुमार, अंकित कुमार, अनंत कुमार झा, नीतीश कुमार, सौरभ कुमार, अभिषेक कुमार, अमरजीत कुमार, सबलू कुमार, सुमित कुमार, राजा कुमार, हिमांशु कुमार, काजल कुमारी, मुनचुन कुमारी, शालू कुमारी, वंदना कुमारी, प्रिया विश्वास आदि उपस्थित थे।

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अभाविप ने मनाया कपूरी जयंती

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सही मायने में जननायक थे कर्पूरी ठाकुर : प्रो. ललन

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मधेपुरा के तत्वावधान में भारतरत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा सह परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी अतिथियों एवं विद्यार्थियों ने कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की और उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया ‌

 

इस अवसर पर विभाग प्रमुख प्रो. ललन प्रसाद अद्री ने कहा कर्पूरी ठाकुर एक स्वतंत्रता सेनानी, दूरदर्शी राजनेता एवं सही मायने में जननायक थे। उन्होंने समाज के सभी वंचित वर्गों और विशेषकर किसानों, मजदूरों एवं महिलाओं के हित में काफी कार्य किया। उनका जीवन लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने और भारत के संविधान में निहित स्वतंत्रता, समानता और बंधुता के सिद्धांतों को व्यवहार में उतारने के अथक प्रयास की मिसाल है।

 

उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर सादगी एवं सरलता की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी जातिवाद एवं परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया।

 

*समग्र क्रांति में विश्वास करते थे कर्पूरी*

 

नगर अध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने सामाजिक बराबरी के साथ-साथ आर्थिक एवं शैक्षणिक बराबरी पर भी जोड़ दिया। वे चाहते थे कि सभी वर्गों के बच्चों को एक समान एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।

 

उन्होंने बताया कि कर्पूरी ठाकुर समाज एवं राष्ट्र के हित को सर्वोपरि मानते थे और जाति नहीं, जमात की चिंता करते थे। उन्होंने पिछड़ी जातियों, अत्यंत पिछड़ी जातियों के साथ-साथ महिलाओं और गरीब सवर्णों के लिए भी आरक्षण का प्रावधान किया था।

 

प्रांत सह शोध संयोजक डॉ. रंजन कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर सराहनीय कार्य किया है। इससे पूरे बिहार का गौरव बढ़ा है।

 

प्रांत सह मंत्री समीक्षा यदुवंशी ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने समाज शोषित-पीड़ित तबकों और विशेषकर महिलाओं के उत्थान के लिए काफी कार्य किया। हमें उनके विचारों एवं कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है।

 

परिचर्चा में विषय प्रवेश जिला संयोजक नवनीत सम्राट ने किया। संचालन विभाग संयोजक सौरभ कुमार और धन्यवाद ज्ञापन नगर मंत्री अंकित आनंद ने किया।

 

इस अवसर पर नगर सह मंत्री अंशु कुमार, काजल कुमारी, रूपाली कुमारी, निशु कुमारी, अंकिता, लवली, सिन्धु, अमन, राकेश, अमर, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान आदि उपस्थित थे।

-सुधांशु शेखर, मधेपुरा

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