बांस बोरिंग का आविष्कार कर कोसी क्षेत्र की कृषि में सिंचाई की विकट समस्या को दूर करने वाले सिंघेश्वर प्रखंड के लालपुर निवासी स्मृति शेष पद्म श्री राम प्रसाद चौधरी की उपलब्धि को सलाम।
हर दौर आपकी उपलब्धि को सलाम करेगा।
आज उनके गांव पहुंच उनकी जीवन संगिनी व परिजनों से मिलना व बात करना सुखद,,,,,पद्म श्री राम प्रसाद चौधरी का धीरे धीरे गुमनाम होना दुखद ,उनके नाम पर प्रशासनिक स्तर पर पहल की जरूरत।
मधेपुरा का अतीत समृद्ध और गौरवशाली जरूरत उसे तलाशने और संजोने की,,,,,,
पद्म श्री राम प्रसाद चौधरी की पत्नी जगधात्री देवी को किया सम्मानित और विभिन्न विषयों से जुड़ी जानकारी को संग्रहित।
आज हमने भारत के तीसरे सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित बांस बोरिंग के आविष्कारक सिंघेश्वर प्रखंड के लालपुर निवासी राम प्रसाद चौधरी के आवास पर पहुंच उनकी पत्नी व परिजनों से मुलाकात कर उनका हाल चाल जाना।लगभग दो घंटे की मुलाकात में हमने राम प्रसाद चौधरी के जीवन संघर्ष,उपलब्धि,सम्मान आदि विषयों से जुड़ी जानकारी भी प्राप्त की।
कोसी का इतिहास अतीत से ही समृद्धशाली रहा है । हर दौर में यहां की प्रतिभाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और इस धरती को गौरवान्वित किया ।इसी कड़ी में बांस बोरिंग का आविष्कार कर सिंघेश्वर प्रखंड के लालपुर निवासी राम प्रसाद चौधरी ने सिंचाई की विकट समस्या को दूर कर क्षेत्र में खेती में बड़ी क्रांति लाई जिसके फलस्वरूप तत्कालीन सरकार की पहल पर राष्ट्रपति वी वी गिरी ने देश के तीसरे सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान पद्म श्री के से सम्मानित किया जो उस समय इस क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक घटना थी।बात चीत के क्रम में उस क्षण को याद कर गौरवान्वित महसूस करती राम प्रसाद चौधरी की उपलब्धि के प्रयास,सफलता व सम्मान की साक्षी रही उनकी जीवन संगिनी सेवा निवृत शिक्षिका जगधात्री देवी ने कहा कि जब वो सिंचाई की तत्कालीन विकट समस्या के समाधान के लिए बांस बोरिंग की कल्पना कर उसे साकार रूप देने में जुटे तब अधिकांश लोगों ने इस प्रयास को पागलपन और उन्हें पागल कहना शुरू कर दिया उनका मजाक तब और बढ़ने लगा जब पहले प्रयास में वो सफल नहीं रहे लेकिन दूसरी बार जब वो सफल हुए तो उनकी चर्चा चारो तरफ होने लगी।वह एक बड़ा बदलाव था उस दौर में हजारों का अति खर्चीला बोरिंग अब मात्र कुछ सौ में सम्भव था उसके बाद धीरे धीरे कोसी में खेती में आमूल परिवर्तन हुए।धीरे धीरे यह बात चारो और फैलने लगी। जिस पर जिला प्रशासन व सरकार ने भी संज्ञान लिया चर्चा का आलम यह था कि पदाधिकारी ,जनप्रतिनिधि के साथ बिहार आने वाले कई विदेशियों ने भी उनसे मुलाकात कर इस आविष्कार पर चर्चा की।वर्ष 1974 में तत्कालीन राष्ट्रपति वी वी गिरी ने देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित कर उनकी उपलब्धि को राष्ट्रीय फलक पर ला दिया।उस सम्मान समारोह की साक्षी रही जगधात्री देवी उस पल को याद कर रोमांचित हो उठती हैं और कहती हैं कि वह हर पल यादों में आज भी जीवंत है जब महामहिम ने उनके पति को सम्मानित किया था और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हांथ मिलाकर दोनों को बधाई दी थी।उसके बाद गांव लौटने पर लोगों में बहुत खुशी का माहौल था ।लोगों के लगातार कहने के बाद भी उन्होंने कोई सरकारी लाभ नहीं लिया ।कुछ समय तक प्रशासनिक कार्यक्रमों में उन्हें बुलाया जाता था लेकिन बाद में धीरे धीरे उन्हें नजरअंदाज किया जाने लगा।उनके देहांत के समय प्रशासनिक स्तर पर सम्मान नहीं दिए जाने से आहत जगधात्री देवी ने कहा कि अब उनकी चर्चा भी बहुत कम होती है।हमने एक मुहिम शुरू किया है कि जिले के अतीत के खूबसूरत लेकिन गुमनाम पन्नों को फिर से पलटा जाए और उसे भविष्य के लिए संग्रहीत कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित कर सजाया जाए।
पद्म श्री राम प्रसाद चौधरी के परिजनों से हम ने वादा किया कि इस को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से भी पहल की मांग करेंगे कि उनके नाम को जिंदा रखने के लिए उनके नाम पर कोई पहल हो।लगभग दो घंटे की मुलाकात में विभिन्न बिंदुओं पर खुलकर चर्चा हुई। अतीत में विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों से जुड़ी जानकारी को संग्रहित कर उसे पुस्तक रूप में प्रकाशित करने की योजना पर काम चल रहा है।इस अवसर पर हमने पद्म श्री राम प्रसाद चौधरी की जीवन संगिनी और उनकी सफलता की मजबूत सहयोगी जगधात्री देवी को अंगवस्त्र से सम्मानित किया और उनके स्वस्थ दीर्घसत्री जीवन की कामना की।मौके पर उपस्थित प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के सिंघेश्वर प्रखंड अध्यक्ष शंकर सुमन ने कहा कि अपने अतीत की हस्तियों को तलाशने और संग्रहीत करने का प्रयास सराहनीय कदम है इससे वर्तमान व भविष्य दोनों को लाभ मिलेगा।इस अवसर पर परिवार के सदस्य सुनीता देवी,राहुल जायसवाल, फाथोम राज,काजल, प्राची आदि भी उपस्थित रहे।,,,,
-हर्षवर्धन सिंह राठौर के फेसबुक वॉल से साभार
30.01.2022